लक्ष्मी से बातचीत
जब कभी चाय–नाश्ते पर गपशप होती है तो 30 वर्षीय लक्ष्मी उसमें बढ़–चढ़कर हिस्सा लेती है। पब्लिक स्पेस पर बात चलती है तो वह मार्केट शब्द पर खास जोर देती है। उसके लिए सार्वजनिक स्थल का मतलब इससे ज्यादा क्या हो सकता है। वह कहती है कि जब काम से लौटते समय उसके पास समय होता है तो वह लोकल मार्केट चली जाती है। उसके घर के पास हर शुक्रवार को फुटपाथी बाजार लगता है। उसे इस मार्केट में आना खासा पसंद है। अक्सर वह अपनी बेटियों के साथ मार्केट आती है। इस भीड़–भाड़ भरे मार्केट से सब्जियां और घर के दूसरे सामान खरीदती है। वैसे उसका फेवरेट काम है इस मार्केट में छोले–भटूरे खाना। सारे दिन कारखाने में काम करने के बाद उसे बाजार जाना बहुत राहत देता है। शाम को वह भीड़ भरी गलियों से गुजरते हुए, तेज कदमों से बाजार पहुंच जाती है। कई बार बेटियां सीधे बाजार पहुंच जाती हैं। फिर घूमते–फिरते हुए वह मसालेदार छोले–भटूरे खाती हैं।
फिर भी यह सब इतना आसान नहीं है। खुशी मनाने के लिए भी सहूलियत चाहिए। लक्ष्मी कहती है, मैडम जी! यह होता है दो–तीन महीने में एक बार। वह भी मुश्किल से। वह बताती है कि पिछली नौकरी में वह और उसकी साथिनें अपनी मैनेजर से कहती थीं कि वह भी उनके साथ ओखला के पास लगने वाले बाजार की सैर करने चलें। एक बार वह राजी हो गई। फिर सभी मिलकर बाजार की सैर को चल पड़ीं। उसी दौरान उन्होंने छोले भटूरे की दुकान देखी और उनके मुंह में पानी आ गया। उन्होंने एक प्लेट का ऑर्डर दिया जिसके पैसे मैनेजर ने चुकाए। बस, फिर क्या था। यह हर महीने का चस्का हो गया। मैनेजर भी उनके साथ आने लगीं। हर बार वे बाजार घूमतीं और फिर छोले–भटूरे पर टूट पड़तीं। हर बार एक ही दुकान पर जाने से दुकानदार उन्हें पहचान गया। कई बार वह उन्हें एक्स्ट्रा छोले और भटूरे भी दे देता। ऐसा दो बार हुआ कि मैनेजर ने छोले भटूरे के पैसे चुकाए। सभी औरतें कहतीं कि यह मैडम की ट्रीट है लेकिन तीसरी बार मैनेजर ने साफ मना कर दिया। लक्ष्मी ने कहा– हम सारे दिन आपके लिए इतना काम करते हैं। हमारी वजह से आपका बिजनेस इतना अच्छा चलता है। क्या आप हमें महीने में एक बार भी ट्रीट नहीं दे सकतीं– वह भी सिर्फ 5 रुपये पर प्लेट की। मैनेजर मान तो गई लेकिन उसने हरेक के लिए एक प्लेट का ऑर्डर नहीं दिया। बल्कि दो लोगों से एक ही प्लेट में खाने को कहा।
लक्ष्मी के लिए पब्लिक स्पेस का मतलब है, ऐसी जगह जहां सहेलियों के साथ मजे किए जा सकें। उसके लिए बाजार ही वह जगह है। एक ऐसी जगह जहां वह अपनी बेटियों और साथिनों के साथ इंजॉय कर सके। जहां घरेलू जिम्मेदारियों से कुछ समय के लिए आजाद होकर सुकून की सांस ले सके।