हैलो, आप का नाम क्या है ?
मेरा नाम सुनीता है। मैं खिडकी विल्लेज में रहती हूँ। चैदह साल हो गया है इस जगह पर।
आप क्या करती है ?
मैं घर का काम और उसके साथ ज® घर में ही पार्लर खोला है, उसे चलाती हूँ।
आप ने पार्लर क्यों खोला ? क्या कोई आइडिया था आप के दिमांग में ?
मैं कुछ अपना काम खोलना चाहती थी। पार्लर को आप मेरी होबी भी कह सकते हो। इससे ही मुझे ख्याल आया की मैं पार्लर का काम बहुत अच्छे से कर सकती हुँ। मुझे खुद उठना था इस लिए अपना काम खोल लिया।
जब मैं दसवी क्लास में थी तब से पार्लर का काम सीखना अच्छा लगता था और फिर धीरे धीरे मैं इस काम में बहुत कुछ सीख गई। तब से ही मुझे आत्म विश्वास होने लगा।
आप कहाँ से है और यहाँ कब आई ?
मैं दिल्ली से हूँ। यहीं पैदा हुई और यहीं शादी हुई।
जब हमने यहाँ अपना काम खोला तो इतना काम नहीं था। मैंने अपने पति से कहा कि टाइम लगेगा मगर मैं बाहर काम नहीं करना चाहती, घर में पार्लर एक बार जम जाये। मेरे पति ने कभी मुझे इस काम के लिए नहीं रोका। उनका कहना था कि घर में पार्लर ठीक है कोई आये या न आये तुम तो घर में ही रहोगी।
पार्लर के लिए मुझे कमरे की तलाश थी, पार्लर नीचे होता तो बहुत अच्छा होता पर नीचे के कमरे बहुत महंगे थे और मिल भी नहीं रहे थे। जैसे ही हमें दूसरी मंजिल का कमरा मिल गया वहा मैं पार्लर का काम शुरू कर दिया।
मेरे साथ मेरे पति हमेशा रहे। उन्होंने कहा जो करना करो मैं साथ हूँ। तो और हिम्मत बढ़़ जाती थी। हमारे तीन बच्चे है, मैं तो चाहुँगी कि मेरी लड़की खूब पढ़े और आगे अपने पैरो पर खड़ी हो सके। मेरे पति ने भी यही कहा बच्चांे को जो करना है कराओ ताकि वो इंडीपेनडीड हो।
आज के दौर में हर लेडिस काम कर रही है कल के लिए यही अच्छा है की हमारी लडकियाँ तैयार रहे।
यहाँ खिडकी में कहाँ –कहाँ के लोग रहते है ?
खिडकी गावं में ज्यदातर लोग बहार के है। कोई किराये पर है, बाहर काम करते है और कुछ दुकान चलाते है। कुछ कोलेज में पढ़ते है, यहाँ अफ्रिकन और अफगानी भी है। जब भी मेरे पास अफगानी आते है वो अगर मैं दो सौ रुपए चार्ज करती हुँ तो वे पांच सौ रुपए टिप दे जाते है।
आप कभी उन से बात करती हैं ?
पूरी तरह तो नहीं बात हो पाती क्यों कि वे हिंदी भी नहीं जानते और न ठीक से इंग्लिश बोल
पाते। टूटी फूटी जैसे तैसे मैं समझ पाती हूँ।