ज़ारा

आप कब आये यहाँ ?

मैं मालवीय नगर में एक जॉब करती थी। काम के बाद शादी की और यहाँ आ गयी।

मैं शॉप पे काम करती थी जो गिफ्ट का शॉप था ।

13 साल मेरी शादी हो गई। शादी के बाद बेटी हुई, मैंने फिर जॉब करना शुरू कर दिया। उस समय का माहौल कुछ और था, तब मैं जिस शॉप पर काम करने के लिए ट्राई कर रही थी वहा मैंने ज़ारा नाम नहीं बताया मैंने आशा बताया और वहाँ जॉब करने लगी। कई दिनों तक काम किया, एक दिन वहाँ पता चला कि मैं मुस्लिम हूँ तो मेरी छुट्टी हो गई।

फिर मैंने किसी और जगह काम की तलाश शुरू की। होज़ रानी में तब मुझे एक गारमेंट की फैक्ट्री में सुपरवईजर का जॉब मिल गया। होज रानी में जब मैं जॉब करती थी तब कई लोग टोकते थे कि कहाँ काम करती हो वहाँ का माहोल तो £़राब है पर क्या करे ?

जब मैं वहाँ से काम कर के निकलती थी किसी से बात नहीं करती थी, डर लगता था अगर किसी से बात की तो लोग और घूरते थे। अलग अलग तरह से सोचते थे कि ये लड़की ऐसी ही है, वैसी है बहुत बाते बनती थी उस से गलत प्रभाव पड़ता था।

तब क्या आप होज़ रानी में रहते थे ?

हाँ।

आप की शादी के पहले वाला जो अनुभव है और शादी के बाद वाला अनुभव कैसा है ?

वैसे में एक मुस्लिम हूँ, मेरी शादी एक हिन्दु से हुई है। हमारे उस माहौल में और इस माहौल में काफी फर्क है। हाज़ रानी के माहोल में और उनके माहोल में जमीन आसमान का फर्क लगा। बस उस जगह से निकल कर लगता था कि अब हम आजाद है। हम लोगो को जींस पहनने का श©क था। अपने दोस्तों के घर हिल पहनकर जाते थे और वहा से आते तो हिल निकल कर जाते थे।

जो किराये पर रहते थे वो भी बुरा मान जाते थे। चुप चुप ही हम आते थे। अगर कभी अच्छे कपडे पहन लेते थे तो लड़के पीछे लग जाते थे। ये भी अच्छा है। किसी न किसी बात पर कहानी तो बन जाती है। जैसे मैं पहले लड़की थी फिर शादी हुई तो वाईफ, फिर अब मैं मदर हूँ। पहले से काफी डिफरेंस आ गया है। अब यह है कि जो लोग हमें रोकते थे वे अपनी बेटी को नहीं रोकते।

शादी के बाद, जब हम यहाँ आये खिड़की में ज्यादा अच्छा माहोल लगा।

आप की शादी के बाद आप के पहले के माहोल में और अब के माहोल में क्या फर्क नजर आया ?

पहले जो टाइम था अब वैसा नहीं है, अब ज्यादा देर बाहर नहीं रह सकते। शादी के बाद और दब कर रहना पड़ता है।

जब आप होज़ रानी से आये तो यहाँ के माहोल में कैसा फर्क लगा ?

जब हम कहीं निकलते है तो आज भी लड़के पीछे से घूरते है।

पहले की बात है, होज़ रानी में एक प्रधान का लड़का था जो मुझे बहुत घूरता था बारबार देखता था मैंने एक बार उसको कह दिया कि देखो ये ठीक नहीं मेरी मगनी हो गई है।

मैंने उसे समझाया कि क्या तुम्हे अच्छा लगेगा कि जब मैं तुम से फ्रैंडसिफ करू और दुसरे के साथ घुमु ?

मैं ने उसे कहा, देखो इस तरफ हमारा काम है, मज़बूरी में निकलना पड़ता है।

उसके बाद उसने कभी नहीं देखा पर मेरे हस्बेंड को यह पता चला तो उन्होंने काम के लिए साफ मना कर दिया।

जब मेरी शादी हुई तो घर में सब नाराज थेा। मेरे पिताजी तो मान ही नहीं रहे थे। सब ने मुझे बहुत डाटा, सब ने रिश्ता तोडने को कहाँ पर ये समझदार थे। मम्मी से अलग जा कर बात की, उनको समझाया फिर हम ने 2-3 तरह से शादी कर ली। पहले कोर्ट मैरिज किया सब को बुलाया, फिर मंदिर में शादी की। अभी तक किसी को यह पता नहीं था कि मैं मुस्लिम हूँ। हमने अपनी लाइफ़ तब ही आगे बढाई जब सबको राजी कर लिया। फिर बाद में सब को पार्टी दी, फैमिली वालो को भी बुलाया। इनके घर वाले पंजाब से है। मुझे थोडा सैटल होने में परेशानी हुई।

अब भी जब मैं जींस वगेहरा पहनती हूँ तो पीछे खड़ी रहती हूँ साथ में नहीं बैठती।

आप की गली का माहौल कैसा है ?

यहाँ की गली में डर नहीं लगता, यहाँ से बाहर जा कर डर लगता है। लड़के छेड़ते है, घूरते है, कपड़ो के उपर बोलते है। अगर टॉप पहनते है तो घूरते है। यह अच्छा नहीं लगता घर वाले मना करते है।

हमारे यहाँ ऐसा नहीं होता।

वो जो मोहल्ले वाला फिलिगं होता है क्या वो है यहाँ पर ?

सब अपनी धुन में चलते है। हमारी कुछ लोगो से थोड़ी जान पहचान है तो उन से दुआ सलाम कर लेते है। बाते भी करते है। सब अपनी छतो पर रहते है।

आप त्यौहार मनाते हो, कहाँ कहाँ जाते हो ?

सब अपनी छतो पर मनाते है हम तो जाते नहीं। बस मेहेक मानान¢ जाते है। सब मिलकर पटाखे जलाते है, एक दूसरे के घर चले जाते है। फ्रेंड के घर चले जाते है। इस बहाने बाहर जाने को मिल जाता है।

अच्छा, यहाँ चेनज हुआ है या शुरू से ही था।

आप को कैसा लगता है ?

हमें तो सब से अच्छा त्यौहार रक्षा बंधन लगता है।

¢¢कको स्कुल छोड़ने जाना पड़ता है, स्कुल से लाना पडता है। ट्यूशन भी है फिर कुछ और काम देखना। अब बच्चो को घर में अकेला भी नहीं छोड़ सकते कोई भी हो डर तो लगता है। चाहे होज़ रानी हो या स्कुल, तो थोड़ी सी टेंशन रहती है। एक दिन बच्चे खेल रहे थे घर में चोर आ गया और बच्चो से बोलने लगे कि हमे तुम्हारी मम्मी ने भेजा है। वो भी झूठ झूठ कहा कि, लो अपनी मम्मी से बात कर ल¨ और बच्चो को भी लगा कि हमारे मम्मी से बात कर रहे है। फिर उन्होंने अलमारी खोलकर जो कुछ मिला ले गए।

इस लिए बच्चो को अकेला भी नहीं छोड़ सकते है, डर लगता है।

इस के पापा रात को लेट आते है, उनका कुछ न कुछ लगा रहता है। घर में कोई न कोई काम निकल आता है। हम कुछ करते रहते है। कपडे सिलो, अलमारी साफ करलो, नए नए काम निकल आते है। शादी से पहले न तो मुझे कुछ सीना आता था न खाना बनाना।

तो फिर आप को बाहर रात में कहीं जाने का टाइम मिलता है ?

नहीं, बस कभी घुमने जाते है। मेहेक से हमने कहाँ है, बेटा सब से बात करोे, घुमो, पर सोच समझ कर होज़ रानी वालो से ज्यादा बाते नहीं करना। अपने बच्चो को हम समझाते है।

हर कोई चाहता है कि हमारा बच्चा कोई गलत काम न करे।

आज भी यहाँ सब तरह के लोग है नेपाली, गढ़वाली, बिहारी, मुस्लिम। इनको अच्छा नहीं लगता कि बच्चे बाहर जाये। हम अपने बच्चो को कहते थ¢ देखो नेपालियों के साथ ज्यादा नहीं घूमना, इनका पहनावा बहुत सॉर्ट है। हमरे बच्चे इनके साथ जाते है तो सब देखते है। पहनावे की वजह से कुछ नहीं भी होगा तब भी नजर उठाके देखते है।

लेकिन हमने उनका परिवार देखा है, बाद में पता चला कि यह लोग कुछ गलत नहीं है।

हमारी गली में जो लोग पढ़े लिखे है वे भी जब कोई लड़की निकलती है तो उसके पहनावे को देख कर टोन कसते है।

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